Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Manish Upadhyay
amature writer,thinker,listener,speaker.
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
गुनहगार हो गया
सच बोलकर जहाँ में गुनहगार हो गया, लोगों से दूर आज मैं लाचार हो गया। जो चापलूस थे सिपेसालार बन गए, मोहताज़ इक अनाज़ से…
Mere kwabo me tum ho sanam
मेरे ख्वाबों में बस तुम हो, कोई और नहीं है सनम, तुम्हें यकी हो न हो, पर यही सच है सनम, तुम मुझ पर यूं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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