साहब जी वतन आवाज़ दे रहा हैं।

साहब की हवाई सैर पर एक
मतला और एक शेर देखे।

कू-ए-वतन में उड़न तश्तरी मोड़िये ना,
साहब विदेश घूमने की जिद छोड़िये ना!
इंसाफ दिलाके आसिफा की रूह को फिर,
अनशन स्वाति मालिवाल का तोड़िए ना!

तारिक़ अज़ीम ‘तनहा’

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