सवेरे की मधुर मुसकान का
सवेरे की मधुर मुसकान का
अर्चन करें मन से ।
उजाले की अमर पहचान का ,
वंदन करें मन से ।
मित्रतामय उमंगों का चिर स्पंदन,
निराला है ,
नमन हो मित्रता तीरथ की महिमा
सकल तन मन से ।
जानकी प्रसाद विवश
प्यारे मित्रो ,
महिमामय सवेरे की
अशेष मंगलकामनाएँ ,
सपरिवारसहर्ष स्वीकार. करें ।
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश
अतिसुन्दर रचना
Nice
वाहI
Good