शीत के सवेरे में
शीत के सवेरे में ,
गरमागरम राम राम ,
भज ले मन राम राम ,
बन जायें बिगड़े काम।
पल भर निर्मल मन से
जोभी याद करता है ।
वह विपदाओं से ,कभी ,
तिल भर नहीं डरता है ।
करता है राम नाम हर ,
विपदाओं का काम तमाम ।
जानकी प्रसाद विवश
प्यारे मित्रो
सुमंगलकारी शुभप्रभाती शुभकामनाएँ
सपरिवारसहर्ष ,
स्वीकार करें ….।
आपका अपना मित्र
जानकी प्रसाद विवश
Nice