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आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं पाँव हमेशा जमीं पे टी’काके रखता हूँ ।।

जिंम्मेदारियों का बोझ मैं उठा’के रखता हूँ मेले में बेटे को काँधे पे बिठा’के रखता हूँ ।। आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

छत्तीसगढ़ के घायल मन की पीड़ा कहने आया हूँ।

मैं किसी सियासत का समर्थन नहीं करता हूँ। भ्रष्टाचार के सम्मुख मैं समर्पण नहीं करता हूँ॥ सरकारी बंदिस को मैं स्वीकार नहीं करता हूँ। राजनीति…

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