Categories: शेर-ओ-शायरी
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फ़िर बतलाओ जश्न मनाऊँ मैं कैसी आजादी का
आतंकी की महिमा मंडित मंदिर और शिवाले खंडित पशु प्रेमी की होड़ है फ़िर भी बोटी चाट रहे हैं पंडित भ्रष्टों को मिलती है गोदी…
कच्ची मिट्टी के हम पुतले
कच्ची मिट्टी के हम पुतले, तपे गर जीवन भट्टी में, तो जगतहार बने, जैसे सोना तप भट्टी में , अलंकार. बने , कच्ची मिट्टी के…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
तुम्हें क्या कहूँ
तुम्हें चांद कहूं, नहीं, तुम उससे भी हंसीन हो। तुम्हें फूल कहूं, नहीं, तुम उससे भी कमसीन हो। तुम्हें नूर कहूं, नहीं, तुम उससे ज्यादा…
O raina tujhe mai kya kahu
ओ रैना, तुझे मैं क्या कहूं? रात कहूं, रैना कहूं या निशा कहूं, मिलता है दिल को सुकून, साये में तेरे, मिट जाती है सारी…
बहुत सुंदर कविता है आपकी
Thank you chacha
Waah
Great