Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
गीत
“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…
हे!री सखी कैसे भेजूं
“गीत” :::::::::::: हे!री सखी कैसे भेजूं , प्रिय को प्रणय निवेदन। दूर देश विदेश भय हैं वो मन का मेरे प्रिय साजन। हे! री सखी…
शबरी की प्रतीक्षा
कई वर्षों की प्रतीक्षा के बाद, जब शबरी के आश्रम आए श्री राम शबरी ने कहा श्रीराम से, आए हो तुम तो निज काम से…
राम, राम, राम तु रटते जा
राम, राम, राम तु रटते जा मन से मन की विकार तु हटाये जा राम से ही जन्मों का पाप धुलता राम से ही राम…
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार सब सर नवाते हैं, तेरे दर पर मेरे राम कोई तुझसे क्या माँगे, तुम किसी को क्या देते हो…
Superb
Behtareen
waah
Bahot badiya…
Very Nice