मुक्तक

आप जबसे जिन्दगी में मिल गये हैं!
रास्ते मंजिल के फिर से खिल गये हैं!
जागे हैं ख्वाबों के पल निगाहों में,
जख्म भी जिगर के जैसे सिल गये हैं!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Related Articles

मुक्तक

जबसे ज़िन्दग़ी में आप मिल गये हैं। रास्ते मंज़िल के फ़िर से खिल गये हैं। जागे हुए पल हैं ख़्वाबों के नज़र में- ज़ख्म भी…

मुक्तक

जबसे ज़िन्दग़ी में आप मिल गये हैं। रास्ते मंज़िल के फ़िर से खिल गये हैं। जागे हुए पल हैं ख़्वाबों के नज़र में- ज़ख्म भी…

Responses

+

New Report

Close