मुक्तक
मैं क्या भरोसा कर लूँ इस ज़हाँन पर?
डोलता यकीन है टूटते इंसान पर!
हर किसी को डर है तूफाने-सितम का,
आदमी जिन्दा है वक्त के एहसान पर!
रचनाकार -#मिथिलेश_राय
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Panna - January 9, 2018, 11:23 pm
Bahut khoob
Mithilesh Rai - January 11, 2018, 10:36 pm
शुक्रिया