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Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मुक्तक
कभी तो किसी शाम को घर चले आओ। कभी तो ग़मों से बेख़बर चले आओ। हर रात बीत जाती है मयखाने में- कभी तो रास्ते…
कभी कभी, तुम राहें भूल कर…! (गीत )
कभी कभी, तुम राहें भूल कर……! (गीत ) कभी कभी, तुम राहें भूल कर, मेरी गलियों मे आया करो…. कभी कभी तुम ख़ुद को …
क्या कभी किसी को देखा है ?
क्या कभी किसी को देखा है ? दर्द से छटपटाते हुए। क्या कभी सुना है तुमने किसी को चुप-चाप चिल्लाते हुए। कठिन बड़ा है उस…
मुक्तक
मत करो तुम कोशिश जब वो आसान हो! खोज लो उजाले जब कभी वीरान हो! चाँद खींच लेना प्यार से आगोश में, राहे–जिन्दगी न तेरी…
Good