मुक्तक

यादों की करवट से लकीर सी बन जाती है!
दिल में तरंगों की तस्वीर सी बन जाती है!
जब भी आ जाता है सैलाब तमन्नाओं का,
दर्द की कड़ियों की जंजीर सी बन जाती है!

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

Related Articles

मुक्तक

होते ही सुबह तेरी तस्वीर से मिलता हूँ। अपनी तमन्नाओं की ज़ागीर से मिलता हूँ। नज़रों को घेर लेता है यादों का समन्दर- चाहत की…

मुक्तक

कभी-कभी चाहत जंजीर सी लगती है! कभी-कभी सीने में तीर सी लगती है! जब कभी भी होती है यादों की आहट, दर्द की हाथों में…

मुक्तक

मेरी तन्हाई में जब भी गुजर होती है! मेरे ख्यालों में ख्वाबों की सहर होती है! दर्द की कड़ियों से जुड़ जाती है जिन्दगी, यादों…

Responses

+

New Report

Close