Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
हम क्या-क्या भूल गये
निकले हैं हम जो प्रगति पथ पर जड़ों को अपनी भूल गये मलमल के बिस्तरों में धँस के धरा की शीतलता भूल गये छूकर चलते…
हिन्दी कविता- बसंत आने लगा |
हिन्दी कविता- बसंत आने लगा | बागो मे फूल कलियों बाहर अत्यंत आने लगा | मस्त मदन लिए अंगड़ाई देखो बसंत आने लगा | शरद…
तेरी अंगड़ाई
चाँद की सूरत, तेरी सूरत रानाई। होश उड़ा ले गई मेरी, तेरी अंगड़ाई। तारीफ करूँ क्या तेरे अहदे-शबाब की, जुबां बंद कर गई मेरी, तेरी…
“लगता है भूल गये हो”
यूँ गयें हो दूर हम से जैसे कुछ था ही नहीं, लगता है पुरानी सोहबतों को भी तुम भूल गये हो, इतना भी आसान…
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