Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Mithilesh Rai
Lives in Varanasi, India
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
वो कहते है, हम कहते है………
वो कहते है हमारे निगाह को यूँ देखा न करो हम कहते है के तुम अपनी निगाह से हमें यूँ देखा न करो वो कहते…
मैं बस्तर हूँ
दुनियाँ का कोई कानून चलता नहीं। रौशनी का दिया कोई जलता नहीं। कोशिशें अमन की दफन हो गयी हर मुद्दे पे बंदूक चलन हो गयी॥…
बरबादी का शौक है
आतंकी जवानों को रोज गोली मार रहे हैं जनता द्वारा चुने नेता देश को खा रहे हैं ढोंगी बिना वजह ही, मुद्दे खड़े कर रहे…
नई सहर
रौशनी की किरण आई नजर, कभी तो आएगी नई सहर । कभी तो गम का अंधेरा हटेगा, कभी तो आएगी खुशियों की लहर । स्याह…
बेहतरीन प्रस्तुति मिथिलेश जी।
लाजवाब जी।
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