//बेजा कब्जा// (नवगीत)
नाचत हे परिया
गावत तरिया
घर कुरिया ला, देख बड़े ।
सुन्ना गोदी अब भरे
दिखे आदमी पोठ
अब सब झंझट टूट गे
सुन के गुरतुर गोठ
सब नरवा सगरी
अउ पयडगरी
सड़क शहर के, माथ जड़े ।
सोन मितानी हे बदे,
करिया लोहा संग
कांदी कचरा घाट हा
देखत हे हो दंग
चौरा नंदागे,
पार हरागे
बइला गाड़ी, टूट खड़े ।
छितका कोठा गाय के
पथरा कस भगवान
पैरा भूसा ले उचक
खाय खेत के धान
नाचे हे मनखे
बहुते तनके
खटिया डारे, पाँव खड़े ।।
.रमेश चौहान
Nice
bahut khoob
laajbaab
bahut bahut muda rachna!
nice
छत्तीसगढ़ी नवगीत
छत्तीसगढ़ी नवगीत के ये प्रयास ला सराहे बर आपके अंतस ले आभार
Nice
Good
Nice
अति सुंदर