बदलते हुए

चलते हुए कदमो के निशां को बदलते हुए देखा हमने।
हर रिस्ते नातों को आज बदलते हुए देखा हमने।

जो कभी टूट कर चाहा करती थी जमाने हमें,
आज उसे ही छोड़ जमाने , जाते देखा हमने।

मौसम तो वही है जो था फिजाओं मे कभी,
पर मौसम का तेवर आज बदलते देखा हमने।

कहते है ख्वाब ऊची रख्खों तो मंजिल भी ऊची होगी,
पर अक्सर नींद संग ख्वाब टुटते देखा हमने।

देख ली सारी जिन्दगी ,देख ली “योगी”
कि दिल के अरमा को सरे राह लुटते देखा हमने।

योगेन्द्र कुमार निषाद
घरघोडा़ (छ.ग.)

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close