Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Related Articles
हम दीन-दुःखी, निर्बल, असहाय, प्रभु! माया के अधीन है ।।
हम दीन-दुखी, निर्बल, असहाय, प्रभु माया के अधीन है । प्रभु तुम दीनदयाल, दीनानाथ, दुखभंजन आदि प्रभु तेरो नाम है । हम माया के दासी,…
प्रभु शरण
कृत्रिम सजावट जीने में, आत्मिक सुख तो नहीं ला पाती है। आनंद नाद की प्राप्ति तो प्रभु के चरणों में ही आती है। जब पा…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
छोड़ों व्यर्थ की बात (गीत)
छोड़ो व्यर्थ की बाते अब हम राम का नाम लेते है । सारी दुनिया को भूलाके अब हम राम को याद करते है । छोड़ों…
विजय मिली विश्राम न समझो
ओ विप्लव के थके साथियों विजय मिली विश्राम न समझो उदित प्रभात हुआ फिर भी छाई चारों ओर उदासी ऊपर मेघ भरे बैठे हैं किंतु…
Super