ना कहकशो का दौर है।

ना कहकशो का दौर है,ना वो हमसे गुप्तगुह करते है,
संगदिल उस सनम से हम बेपनाह महोब्बत करते है।

ज्योति

Related Articles

कविता

कविता- ज्योति पासवान ——————————– आज लूटी है उस की ज्योति ,कल तेरी ज्योति लूट जाएगी| आंख की ज्योति , घर की ज्योति! ज्योति चाहे जिसकी…

Teri mahfil me

तेरी महफ़िल में सनम, कभी आएंगे न हम, चाहे तुम कितनी गुजारिश कर लो, हम न कभी आएंगे सनम, इस कदर हम इतनी दूर निकल…

Ek abaj dekar mujhe bula lo lo

एक आवाज देकर, मुझे बुला लो तू सनम, दौड़ी चली आऊंगी, कुछ नहीं सोचूंगी सनम, तूने अब तक मुझे, पुकारा ही नहीं, तूने अब तक…

सनम

राज़ को राज़ ही रहने दो ए सनम। मुझे गवारा नहीं कि तुझे कोई बेवफा कहे सनम। मैने मुहब्बत की है कोई खिलवाड़ नहीं। तेरी…

Responses

+

New Report

Close