Categories: शेर-ओ-शायरी
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मेरा स्वार्थ और उसका समर्पण
मैनें पूछा के फिर कब आओगे, उसने कहा मालूम नहीं एक डर हमेशा रहता है , जब वो कहता है मालूम नहीं चंद घडियॉ ही…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
एक सवाल……
एक सवाल दिल का, एक सवाल इश्क़ का, इश्क़ मैं जो बिछड़ जाते है, वो फिर किधर जाते है एक सवाल ज़िन्दगी का, एक सवाल…
घर और खँडहर
घर और खँडहर ईटों और रिश्तों मैँ गुंध कर मकान पथरों का हो जाता घर ज्यों बालू , सीमेंट और पानी…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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