“जश्ने आजादी”
जश्ने आजादी का पल है,आओ खुशी मनाएँ।
आसमान फहरे तिरंगा, जन गण मन हम गाएँ।
कालिमा की बीती रातें ,आया नया सवेरा।
प्रगति -पथ परआगे ,बढ रहा देश अब मेरा।
अरूणदेव की नूतन किरणें ,नया सवेरा लाई।
नयी रोशनी पाकर देखो ,कलियाँ भी मुस्काई।
नहीं खैरात में मिली आजादी,खून बहाकर पाई है।
खूली हवा में साँसें ले हम,लाखों ने जान गँवाई हैं।
याद करो वो कहर की बातें ,दुश्मन ने जो ढहाया था।
मित्रता का हाथ बडा,गुलाम हमें बनाया था।
लावारिस का वारिस बन,पूरा देश हथियाया था।
वीर शिवाजी,तात्या टोपे, नाना साहब को याद करो,
लक्ष्मी बाई,मंगल पांडे की कुर्बानी याद करो।
याद करो वो जोरे-जुल्म ,दुश्मन ने जो ढहाया था,
साम,दाम,दण्ड भेद से,कितना हमे दबाया था।
जलियाँवाला बाग न भूलो, निहत्थों पर वार किया,
ठीक बैसाखी के दिन,कैसा नर संहार किया।
अंग्रेजों की कुटिल चाल का ,दिया जवाब शहिदों ने।
इंकलाब का देकर नारा जान फूँक दी वीरों में।
भगत् सिंह,सुखदेव ,राजगुरू,बिस्मिल की कुर्बानी याद करो।
हँसते हँसते चढ गये फाँसी, उनकी कहानी याद करो।
याद करो नेहरू,पटेल,गाँधी बाबा को याद करो।
सत्य,अहिंसा और प्रेम के मूल मंत्र को याद करो।
इनकी कुर्बानी व्यर्थ ना जाए, कसम हमें यह खानी है।
जाति, धर्म ,भाषा,प्रदेश की दूरी सभी मिटानी है।
बनी रहे ये आजादी, कसमें हम सबको खानी है।
विश्व पटल पर भारत माँ की नयी पहचान बनानी है।
हाँ नयी पहचान बनानी है ,अब नयी पहचान बनानी है।
जय हिन्द, जय भारती।
सावित्री प्रकाश
Bahut khub
आभार
nice Savitri ji
शुक्रिया
वाह बहुत सुंदर रचना
जय हिंद