छोटे-छोटे से दिखते हैं बड़े मासूम लगते हैं

छोटे-छोटे से दिखते हैं बड़े मासूम लगते हैं,
मेरे दिल के जो टुकड़े हैं बड़े बखूब दिखते हैं,

बमुश्किल जोड़ कर रखता हूँ मैं इनको अमानत हैं,
मेरे महबूब की आहट में ये तो फानूस  दिखते हैं।।

– राही (अंजाना)

Related Articles

आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं पाँव हमेशा जमीं पे टी’काके रखता हूँ ।।

जिंम्मेदारियों का बोझ मैं उठा’के रखता हूँ मेले में बेटे को काँधे पे बिठा’के रखता हूँ ।। आसमां ये मुझे कभी खरीद नहीं सकता मैं…

“मैं स्त्री हूं”

सृष्टि कल्याण को कालकूट पिया था शिव ने, मैं भी जन्म से मृत्यु तक कालकूट ही पीती हूं।                                                    मैं स्त्री हूं।                                              (कालकूट –…

छत्तीसगढ़ के घायल मन की पीड़ा कहने आया हूँ।

मैं किसी सियासत का समर्थन नहीं करता हूँ। भ्रष्टाचार के सम्मुख मैं समर्पण नहीं करता हूँ॥ सरकारी बंदिस को मैं स्वीकार नहीं करता हूँ। राजनीति…

Responses

+

New Report

Close