Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मुखौटा
नक़ली चैहरो के नक़ली शहर में घूम रहे लिए नक़ली मुखौटा, मन में राम बगल में छुरी ,राम राम की माला जपता मुखौटा। दुनिया की…
उम्र लग गई
ख्वाब छोटा-सा था, बस पूरा होने मे उम्र लग गईं! उसके घर का पता मालूम था , बस उसे ढूंढने मे उम्र लग गईं !…
हम क्या-क्या भूल गये
निकले हैं हम जो प्रगति पथ पर जड़ों को अपनी भूल गये मलमल के बिस्तरों में धँस के धरा की शीतलता भूल गये छूकर चलते…
भोजपुरी गीत- ई संसार ना मिली |
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक बधाई | भोजपुरी गीत- ई संसार ना मिली | बचावा तनी धरती माई मौका फिर तोहार ना मिली | मिटावा…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
बहुत बहतरीन मेरी रचना प्रतियोगिता में है आप कमेन्ट करें
Jarur
Waah
Very nice