Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
नया साल और मेरा प्यार
नया साल और मेरा प्यार….. अक्सर तेरे ख़्यालों में शाम हो जाया करती थी, अब एक साल और बीत चला तेरे इंतज़ार में, काश कि…
फौजी
लिपट कर तुझसे तिरंगा भी रोया था उस पर मरने वाला आज उसमें ही घुसकर सोया था भारत माँ के सपूत ने चैन शान्ति बाँटी…
रक्षाबंधन
कुछ इस तरह रिश्ते का मान रह जाए, तेरी राखी में बंधके मेरी आन रह जाए.. तेरे बाँधे हुए धागे की गाँठ जो छूटे, मुद्दत्तों…
मेरे मित्र
एक खुशबु सी बिखर जाती है मेरे इर्द गिर्द जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र जब भी मन विचलित होता है किसी अप्रिय घटना…
Waah
वाह