औजार

कलम की स्याही से शब्दों के औजार बनाकर,
कल्पनाओं के चित्रों को मैने सरेआम ठोक दिया।।
राही (अंजाना)

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

कागज़ और कलम

जब आसपास की खट पट खामोशी में बदलती है। जब तेज़ भागती घडी की सुइंया धीरे धीरे चलती है।।   दिनभर दिमाग के रास्तों पर…

Responses

+

New Report

Close