Categories: शेर-ओ-शायरी
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पपीहे की आस(कहानी)
पपीहे की आस जैसी खुशी बच्चे के पैदा होने पर होती हैं ,शायद उससे भी ज्यादा खुशी किसान को बारिश होने पर होती हैं यही…
बरखा रानी
घिर-घिर आये मेघा लरज-लरज, घरङ-घरङ खूब गरज-गरज, प्रेम की मानो करते अरज, धरती से मिलने की है अद्भुत गरज। रेशम सी धार चमकीली, नाचती थिरकती…
माँ मुझे चाँद की कटोरी में
कितना नादान था वह बचपन जब… माँ मुझे चाँद की कटोरी में खिलाती थी… मैं खाना खाने में नखरे हजार दिखाती थी… पर माँ चाँदनी…
पहली बारिश
पहली बारिश….। आज सुबह से बारिश रुकने का नाम नही ले रही जानती हो, पहली बारिश याद आ गयी, उस रोज देर तक बस स्टॉप…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
वाह
awesome lines sir
बहुत अच्छा
बहुत बढ़िया
वाह बहुत सुंदर